कादम्बिनी के संपादन में काल चिँतन का बोध कराने मे निष्णात सुधी साहित्यकार राजेन्द अवस्थी काल के कराल हाथोँ छले गये । साहित्य तथा पत्रकारिता को उनका योगदान स्मरणीय रहेगा ।
श्रध्दाञ्जलि ।
क्या काल चिंतन को साहित्य माना जाएगा ?
कादम्बिनी की वर्तमान दशा देखकर आपको कैसा प्रतीत होता है ?
कादम्बिनी के संपादक -
रामानन्द दोषी
राजेन्द्र अवस्थी
कन्हैया लाल नंदन
मृणाल पाण्डेय
गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010
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