काशीराम तुम्हारी जय हो । जन्मदिवस पर धन संचय हो ।
रुपयोँ की हर तरफ विजय हो ।
भूख , लूट हो या कि प्रलय हो ।
मायावती हमारी बहना।
उनके आगे मत कुछ कहना ।
जिसको वृन्दावन मे रहना । उसको पड़ता सबकुछ सहना ।
अफसर , नेता , चमचोँ आओ ।
नाचो , गाओ , केक कटाओ । जो लाए हो उसे चढाओ ।
करो बन्द-ना कुर्सी पाओ ।
लोकतन्त्र का कभी न क्षय हो ।
काशीराम तुम्हारी जय हो ।
यह हजार के नोट कहाँ है । इन नोटोँ मे वोट कहाँ हैं ।
वोट जहाँ हैँ वहाँ गरीबी ।
है भौजी गरीब की बीबी ।
उसको कोई कहे न बहना ।
जो भी कहो ? उसे चुप रहना ।
उस बहना का दर्द न जाना । बहनो को किसने पहचाना ?
यह हजार के नोट हार में ।
इससे ज्यादा भरे कार में ।
देते हैं सब इन्हे प्यार में ।
गर्दन फिर भी तनी भार में ।
काशीराम तुम्हारी जय हो । महापुरुष ? किसको संशय हो ।
काशीराम महामानव थे ।
मनुवादी सारे दानव थे ।
रहे कुँआरे जनता के हित ।
माया ने सेवा की नित ।
उनके सपने सच होते हैं ।
माया छोड़ सभी रोते हैं ।
जहाँ नोट हैँ वहीँ देश है ।
नोट भरे होँ , कौन क्लेश है ?
रुपिया लाओ उसे बिछाओ ।
रुपिया पियो उसे ही खाओ ।
रुपिया लोकतन्त्र की जड़ है ।
लोकतन्त्र रुपियोँ की फड़ है ।
फड़ पर यही खेल जारी है । आपस मे मारामारी है ।
यही जयन्ती यही समर्पण । जनता अपनो से हारी है ।
काशीराम तुम्हारी जय हो ।
बार बार ही धन संचय हो ।
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5 टिप्पणियां:
Accha likhne ke liye aapko badhai!
aapki sabhi rachnayen sarthak hain aruneshji.badhai.achha laga aapke blog per aaker.
This poem is good becoz it expose the trouth of Kashi Ram And Mayawati's life.Not to want to say more about them.It is sufficient
bahut dhuan dhaar likha aapne .dil se badhayi
kuch likhane se pahle apane gireban me zankh ka dekhana fir dusaro ko dosh dena samne se kavita karna aasan hai bhai lekin us jaghah par khade reh kar kaam karna mushkil hota hai
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