शनिवार, 14 अगस्त 2010

ओ मेरे देश

ओ मेरे देश के सूत्रधार !

तुम लाल किले की

प्राचीर पर खड़े होकर

कब तक छोड़ते रहोगे

मूत्रधार ।

जिसमे अवगाहन करके

आम जनता

स्वतन्त्रता की वर्षगाँठ

मना रही है

और राजनीति

अफसरशाही के साथ

भ्रष्टाचार और

चरित्रहीनता का

च्यवनप्राश खा रही है ।

ऐसे मे कहना पड़ता है

कि

अपने देश मे

दो जंघाओं के बीच का

भूगोल

अर्थशास्त्र की बदौलत

इतिहास बनता है ।

यह भारतीय जनता है ।

रविवार, 8 अगस्त 2010

विभूति नारायण राय का अवसरवाद

महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति भाई विभूति नारायण राय ने महिला साहित्यकारों को छिनाल कह दिया ।

इस मुद्दे पर महिलाओं को ही नहीं अपितु प्रत्येक विवेकशील का उत्तेजित होना स्वाभाविक है ।

कथित प्रगतिशील साहित्यकार कब दुर्गतिशील आचरण करने लगेंगे . जान पाना मुश्किल है । अज्ञेय . धर्मवीर भारती . अमृता प्रीतम . इस्मत चुगताई सहित अनेक साहित्यकार की जीवन कथा इसी व्यथा का संदेश है ।

राय ने किन महिला साहित्यकारों को लक्ष्य करके यह कहा . उनका मानस ही जानता होगा । उनका यह कहना कि आजकल महिलाओं मे एक दूसरे से आगे बढ़कर अपने को छिनाल सिद्ध करने की होड़ लगी है ।

हम यह नही समझ पा रहे हैं कि राय ने यह क्यों नही कहा कि पुरुष साहित्यकार एक दूसरे से बढ़कर महिलाओं को साहित्य मे स्थापित करने हेतु समर्पित हैं ।

कपिल सिब्बल एवं साहित्यकारों के घोर विरोध के चलते फिलहाल कुलपति की कुर्सी जाती देख राय ने माफी माँग ली ।
यही अवसरवाद है ।