ओ मेरे देश के सूत्रधार !
तुम लाल किले की
प्राचीर पर खड़े होकर
कब तक छोड़ते रहोगे
मूत्रधार ।
जिसमे अवगाहन करके
आम जनता
स्वतन्त्रता की वर्षगाँठ
मना रही है
और राजनीति
अफसरशाही के साथ
भ्रष्टाचार और
चरित्रहीनता का
च्यवनप्राश खा रही है ।
ऐसे मे कहना पड़ता है
कि
अपने देश मे
दो जंघाओं के बीच का
भूगोल
अर्थशास्त्र की बदौलत
इतिहास बनता है ।
यह भारतीय जनता है ।
शनिवार, 14 अगस्त 2010
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39 टिप्पणियां:
सार्थक रचना।
स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।
पंडित जी..एक गाली जो सुबह से शाम तक हर नागरिक झेलता आ रहा है पिछले छः दशकों से, आज आपकी वाणी में प्रतिकार किया है उसने. आज हर नागरिक के नाम एक ही संदेश है कि वह आपकी यह वाणी कण्ठ में धारण कर बस एक ही मंत्रोच्चार करे..चरैवेति! चरैवेति!!
आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
sootradhaar kee
mootradhar par
aapki kalam ki dhar,
wah, kya dhardar likha.
Sarahneey rachna.
मार्मिक चित्रण ही कहलायेगा यह।
सार्थक रचना के माध्यम से करारा व्यंग ... आज़ादी के दिवस की शुभकामनाएँ .....
दिल से निकली क्या बात कही, यही कडुआ सच है! बहुत खूब !!
प्रस्तुत कविता में व्यंग्यकार की पीड़ा झलकती है. आखिर वह कितने कटु शब्दों का चयन करे कि असर हो!
बन्दी है आजादी अपनी, छल के कारागारों में।
मैला-पंक समाया है, निर्मल नदियों की धारों में।।
--
मेरी ओर से स्वतन्त्रता-दिवस की
हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें!
--
वन्दे मातरम्!
दो जंघाओं के बीच का
भूगोल
अर्थशास्त्र की बदौलत
इतिहास बनता है ।
यह भारतीय जनता है ।
बिल्कुल सही ,स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।
umda rachna..!!
Very nice. I am still trying to figure out how to type in Hindi.
bahut tikha ....byanga hai.
और राजनीति
अफसरशाही के साथ
भ्रष्टाचार और
चरित्रहीनता का
च्यवनप्राश खा रही है ।
vah..vah....vah..............vah........vah..............vah..........vah..........vah.........vah...........vah.............vah.............vah.............vah.......vah........vah............
Apko स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।
इसे व्यंग्य कहें या विडम्बना ...आजाद भारत आखिर कब उस स्वतंत्र का स्वाद चखेगा जहाँ हर नागरिक का सम्मान होगा और अर्थ का शास्त्र आम नागरिक की सुध लेगा । एक सटीक कविता ।
स्वतंत्र को कृपया स्वतंत्रता पढ़ें ।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आपको बहुत बहुत बधाई .कृपया हम उन कारणों को न उभरने दें जो परतंत्रता के लिए ज़िम्मेदार है . जय-हिंद
शस्त्र है सब व्यर्थ यहाँ
पहले भी लाये थे
अब भी लायेंगे
शब्द ही तो क्रान्ति
कुछ सच है जो जनता
सदियों से है जानती
पर शब्दों में अक्सर
अपने व्यथा नहीं पाती बांधती
इसलिए सहे जाते है पीड़ा
फैला कर नास्तिक शांति
सत्य यही है की
पहले भी लाये थे
अब भी लायेंगे
शब्द ही तो क्रान्ति
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ
apki andazbayan nirala hai.adbhut!! satire bahut jabardast.Badhai!!
sir,
aajadi ke is awsar pr aapne jitani sachchai se tathy ko samne rakkha hai vpsame kabile tarrif hai.is avsar par aapko mera pranaam.
poonam
hamare desh ke jo haalat hain uska sahi chitran kiya hain aapne.
swatantra deewas par jab sabhi shubhkamnai de rahe the to mujhe lag raha tha kis baat ki subhkamnai aisa kya haasil kar liya hain humne.
maine bhi isi bhaav par ek rachna post ki hain padhiyega zaroor.
और राजनीति
अफसरशाही के साथ
भ्रष्टाचार और
चरित्रहीनता का
च्यवनप्राश खा रही है ।
Teekha chot kartahua wyang.
बहुत खूब......!!!
सार्थक रचना....!
दिल से निकली बात....!
कडुआ सच...!
करारा व्यंग...!
शर्म इनको मगर नहीं आती..!
arunesh ji bahut hi sarthak baat kahi aapne rachna ke dwara ,par ye kaan se bahre aankh se andhe bane hue hain jo kuchh na to sunenge aur na hi dekhna chahenge. aur rahi samjhdari ki baat to avsarvadi hain na ...........
आज के समय में कोई कवि अपनी और जनता की बात इतने साफ़ साफ़ कह सकता है.. देख कर अच्छा लगा... कविता ना केवल सार्थक है बल्कि जनता के आक्रोश को भी दिखा रहा है.. ऐसे में स्वतंत्रता दिवस का कोई अर्थ नहीं है... वास्तव में भी कोई अर्थ नहीं है जब तक कि हम सामाजिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक तौर पर स्वतन्त्र ना हो.. बेहतरीन कविता. सादर
रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
....आप ने सही निशाने पर प्रहार किया है....बहुत बढिया आलेख, धन्यवाद!
देश के सूत्रधार के लिए आपके शब्द कहीं आपत्ति जनक न हो जाये अरुणेश जी ...
आपने तो काफी खरी -खरी सुना दी ......
तीखा प्रहार किया है आपने ..और सच.
aapko bhi rakhi ke pawan parv ki badhai .
hmm..theek kaha .
Aruneshji,"Bikhare Sitare" blog pe aapki tippaniyan hamesha anmol raheen...is safar kee yaad me maine"In sitaron se aage 3" ek post likhi hai...jahan tippanika nirdesh kiya hai...zaroor gaur karen...aapki sadaiv runee hun.
सार्थक रचना...सशक्त प्रस्तुति...बधाई.
__________________
'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)
बहुत कटाक्ष -पर देश की हालत वाकई चिंताजनक है
-सही लिखा आपने -
शुभकामनाएं .
बहुत कटाक्ष -पर देश की हालत वाकई चिंताजनक है
-सही लिखा आपने -
शुभकामनाएं .
देश की वर्तमान दशा और दिशा को देखकर एक रचनाकार को जो पीड़ा होती है उसे आपकी रचना में देखा जा सकता है.शुभकामनायें.
सार्थक रचना,
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अकेला या अकेली
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