गैस काण्ड होते हैं
होने दो ।
पीड़ित जन रोते हैं
रोने दो ।
मरने दो . त्राहि त्राहि
करने दो ।
हमको निर्द्वन्द राज्य
करने दो ।
अर्जुन हम अपने को
कहते
लेकिन दुर्योधन का
काम करें ।
हम तो हैं कफनचोर
राजा !
जनता से कह दो
प्रणाम करें ।
इण्डरसन के ही हम
सन हैं ।
अपने गुलाम अभी
मन हैं ।
जनता से अपना क्या
रिश्ता ?
अमेरिका अपना
फरिश्ता ?
आओ ! हत्यारों के
साथ रहें .
जनता के कष्ट बनें .
नाम करें ।
हम तो हैं कफनचोर राजा !
जनता से कह दो
प्रणाम करें ।
हम तो जयचन्द
आदिकाल के ।
सबके मुँह बन्द .
हमे पाल के ।
मगरमच्छ नदियों के .
ताल के ।
हम ही पर्याय यहाँ
काल के ।
जनता मर जाय .
देश मिट जाए
फिर भी हम जेबों मेँ
दाम भरेँ ।
हम तो हैं कफनचोर
राजा !
जनता से कह दो
प्रणाम करें ।
शुक्रवार, 11 जून 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
41 टिप्पणियां:
गजब की व्यंग रचना
सही समय पर ,सही
जगह पर किया सही
प्रहार।
यह रचना किसी
कारनामेँ से कम नहीँ।
बहुत बधाई
Bahut man karta hai,sadak pe utar aaun aur satyagrah shuru kar dun..asptaal me padi hun,kaise karun?
Santap ki lahar mastishk me daud jati hai,jab desh ke yuva America daude jate hain..!
बहुत सही कहा कफ़न चोर अभी भी घात लगाये बैठे हैं क्या कर लेगी जनता बेचारी चोरों की जमात में मुखोटा ईमानदारी का होना चाहिए सो है दयालुता का होना चाहिए सो भी है
बहुत सही कहा कफ़न चोर अभी भी घात लगाये बैठे हैं क्या कर लेगी जनता बेचारी चोरों की जमात में मुखोटा ईमानदारी का होना चाहिए सो है दयालुता का होना चाहिए सो भी है
सही थूका है आपने, इन कफ़न चोरों के मुंह पर..पर ये इतने बेशरम हैं कि मुंह पोंछकर फिर खड़े हो जायेंगे सामने..
इस जरूरी व्यंग्य के लिए आपको भी प्रणाम.
दरअसल लोग इतने बेशरम हो गये हैं कि व्यंग्यकार भी परेशान हैं कि इनके लिए शब्द कहाँ से लाएं !! ये तो गाली सुनकर भी हें..हें..हें..हें करते हैं... !!
ये पांच साल में एक बार प्रणाम कर देते हैं, उसकी पूर्ति अगले चुनाव तक नहीं होती।
@kshama ji:
-----------
मोहतरमा, आप अपने स्वास्थ्य की तरफ़ ध्यान दें। आपके सत्याग्रह से किसी के कान पर जूं नहीं रेंगेंगी। पिछले जाने कितने साल से वो मणिपुरी लड़की बेचारी भूख हड़ताल पर है, सुनी है किसी ने?
सचमुच यह कफनचोर जयचन्द ही हैं!
बहुत सही!
अच्छी प्रस्तुति........बधाई.....
आपकी यह कविता धाँसू लगी.बधाई स्वीकारें...
धो धो कर व्यंग मारने में आपका जवाब नही ... बहुत करारा व्यंग .. पर इन नेताओं को शरम नही आएगी ..
होश में ला देने वाली रचना
व्यवस्था के मुह पर करार तमाचा
सच्चाई से परिपूर्ण कफ़न रहित नग्न
रचना के लिए ह्रदय से साधुवाद
बहुत तीखा व्यंग्य लिखा है सच में ये लोग कफ़न चोर हैं दूसरों का हक मारना इनकी नस नस में रक्त के साथ बहता है .. बधाई ...
sachi kitana sahi chitrath kiiya hai ...aaj ki parivesh ki sachi bat boli hai .......
yaha rachna apne me adbhut hai
sachi kitana sahi chitrath kiiya hai ...aaj ki parivesh ki sachi bat boli hai .......
yaha rachna apne me adbhut hai
गजब की रचना है।
घुघूती बासूती
hmm...sochne par mazbuur ..teekha vyang ...
ये बहुत बेशर्म हैं,इन पर थूक दो पर अपना मतलब हो तो वो उसे चाट भी लेंगे
Bahut zordar vyangy .neta bahut beshram hain .
अर्जुन हम अपने को
कहते
लेकिन दुर्योधन का
काम करें ।
हम तो हैं कफनचोर
राजा !
जनता से कह दो
प्रणाम करें ।
......गजब की व्यंग रचना
सही समय पर ,सही प्रहार।
बहुत बधाई
जनता मर जाय .
देश मिट जाए
फिर भी हम जेबों मेँ
दाम भरेँ ।
हम तो हैं कफनचोर
राजा !
जनता से कह दो
प्रणाम करें ।
ati sundar kamaal ki rachna
अर्जुन हम अपने को
कहते
लेकिन दुर्योधन का
काम करें ....
बहुत सही कहा .....
Bahut hi badhiya post sir ji.
बहुत सही और करारा व्यंग लिखा है आपने अरूणेश जी ..."
प्रभावशाली लेखन।
आईये जानें ..... मैं कौन हूं !
आचार्य जी
आक्रोश और ब्यंग्यका सशक्त प्रस्तुति!
kavita ka tartamy kamaal ka bas padhte hi chale gaye .badhhai!!
Hum toa hain kafan chor raja
janata ko kaho hume pranam karen
gajab ka tmacha lagaya hai sarkar ko.
शब्दों के जूते भाव में भिगो कर मरते हैं आप .....
सामायिक व्यंग्य, प्रभावशाली रचना!
अभिवादन के साथ शुभकामनाएं.......
इण्डरसन के ही हम
सन हैं ।.....bauhat acchi prastuti....aapkaa aakrosh saaf jhalak raha hai...
yatharth aur katu saty ko ujagar karatee ek sashakt rachana...........
पंडित जी! बहुत लम्बा हो गया मौन आपका...अब मौन तोड़िए...हमारी एक ग़ज़ल आपके अशीष की प्रतीक्षा कर रही है...
हमारी शुभकामनाएँ नए कार्यभार के लिए!!!
बहुत सुंदर भाव है
कड़वी सच्छायी और तीक्ष्ण कटाक्ष....बहुत अच्छी प्रस्तुति
अर्जुन हम अपने को
कहते
लेकिन दुर्योधन का
काम करें ।
हम तो हैं कफनचोर
राजा !
जनता से कह दो
प्रणाम करें ।
kya khub hai shabdo ke darpan me khud ki surat....
Ek utkrisht koti ki vyangya rachna. Jawab nahi.
"Janta se apna kya rishta,
Amrika apna farishta"
Utkrisht vyangya rachna! Jawab nahi.
इण्डरसन के ही हम
सन हैं ।
अपने गुलाम अभी
मन हैं ।
जनता से अपना क्या
रिश्ता ?
A wonderful creation, showing mirror to the corrupt system.
एक टिप्पणी भेजें