शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

जंगलीकरण

जंगलों को काटकर
बसाए जा रहे हैं गाँव
गाँवों का किया जा रहा है
नगरीकरण
नगरों का सौन्दर्यीकरण
और अब स्थिति
यहा तक आ गयी है
कि सौन्दर्य का
होता जा रहा है
जंगलीकरण ।

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

गिद्ध

हम एक इंसान हैं
इसलिए परेशान हैं
चूँकि आप गिद्ध हैं
इसलिए प्रसिद्ध हैं ।


वन्देमातरम्


अपने यहाँ
पंचायती व्यवस्था : ठर्रा
विधान सभाएँ : ह्विस्की और संसद : रम है ।
यही अपने देश का
वन्देमातरम् है ।

रविवार, 11 अप्रैल 2010

डाँ0 अम्बेदकर जयन्ती पर ( 14 अप्रैल ) आप की ही तरह न जाने कितने हैं वैकल्पिक पत्नियों पर कायम ।

ओ मेरे आराध्य
डाँ0 अम्बेदकर !
आप द्वारा दलितों के
हितों के लिए
किया गया संघर्ष
जिसका उत्कर्ष
हमारे सामने है ।
आपको महापुरुष बनाया
आपके काम ने है ।

आप दलितों के अधिकारों
के लिए लड़ते रहे
पुस्तकें लिखते रहे
पढते रहे
संविधान के अध्याय
गढते रहे ।

न्याय दिलाने के लिए
आप ने सब कुछ किया
बराबरी का अमृत दिया
इसलिए देश आपको
प्रणाम करता है ।
सारा विकास
आपके नाम करता है ।

दलित पुरुष हो या नारी
आपसे देखी नही गयी
लाचारी ।
आपने समानता दिलाने
के लिए बनाए कानून
और स्वयं
तीन तीन पत्नियों के साथ
मनाते रहे हनीमून ।
पूरे देश मे
आपकी जय है ।
गाँधी जी की जय तो
एक अभिनय है ?

ओ मेरे आराध्य !
हम आज तक यह नही
जान पाए कि जिसका
एक तना और
उठा हुआ हाथ
कर रहा हो आम जनता का
आह्वान
बताता हो निदान
और दूसरे हाथ मे शोभायमान संविधान
वह तीन तीन नारियोँ के साथ करता रहा
कानून का सम्मान
अपमान
अनुसंधान या
गर्भाधान ?

आपके न जाने
कितने समर्थक ।
नारियों को कभी नही
समझते हैं निरर्थक ।
आपकी ही तरह
न जाने कितने नेता
अभिनेता
अधिकारी
आज तक हैं
वैकल्पिक पत्नियों पर कायम ।
क्या इसका उत्तर दे पाएँगे
जार्ज
थरूर
पासवान
मुलायम ?

ऐसे मे कहना पड़ता है कि
सुख
समृद्धि
और विकास के क्षेत्र मे
देश इतना हो गया है दक्ष । कि चौदह वर्षीया का वक्ष
पच्चीस वर्षीया के समकक्ष ।
जिसे देखकर
आश्चर्यचकित है
कालिदास का यक्ष ।

इस समय वीवीआईपी
क्षेत्र मे
वैकल्पिक पत्नियों का चलन है ।
वास्तविक पत्नी मे
सीलन है
गलन है
जलन है ।

इन सब लोगों का
नारियों के भौगोलिक वातावरण पर जारी है शोध
फिर भी महिला आरक्षण का विरोध ?
जल मे रहकर मगर से बैर तैर सके तो तैर ।

ओ मेरे आराध्य
अम्बेदकर !
आप अपने को देखिए
और देखिए दलितों के मसीहा मान्यवर काशीराम को
जो मान्यवर होते हुए भी
आजन्म कुँआरे रहे
ऊँची नौकरी छोड़ी
दलितों के बीच खड़ा कर दिया मजबूत संगठन
दिलवायी सत्ता ।
समानता
न्याय
अधिकार के लिए लड़ते रहे लगातार ।
उनके मन मे कभी नही आया
आपकी तरह तीन तीन
पत्नियों का विचार ।
इसलिए आने वाला समय
काशीराम के गुण गाएगा । इतिहास कथनी और करनी की समरूपता को
सिर झुकाएगा ।


नाम

गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

हम तो इतना गिरे हुए हैं । गिरे हुओं से घिरे हुए हैं । ( इस रचना का दृश्य प्रत्येक स्थान पर उपलब्ध है )

महाबली हम , बाहुबली हम ।
आतंकी हम . महाछली हम ।
रौंद रहे हैँ कली कली हम ।
लोकतंत्र की परखनली हम ।

न्याय और अन्याय हमीं से ।
संकट और उपाय हमीं से ।
सभी लोग निरुपाय हमीं से ।
जनमानस असहाय हमी से ।

सत्यवादियों को देखा तो
लगा सभी सिरफिरे हुए हैं ।
हम तो इतना गिरे हुए हैं । गिरे हुओं से घिरे हुए हैं ।

झूठे सब आश्वासन बाँटे ।
बिखराए राहो में काँटे ।
ताल तलैया झाबर पाटे ।
नैतिकता को मारे चाँटे ।

हिंसा , दुराचार के भ्राता । अपराधों से सीधा नाता ।
जातिवाद के आश्रयदाता । काला पैसा नकली खाता ।

मेरे रुतबे के आगे तो
सब रुतबे किरकिरे हुए हैं । हम तो इतना गिरे हुए हैं । गिरे हुओं से घिरे हुए हैं ।

शासन और प्रशासन अपना ।
दल अपना सिंहासन अपना ।
धौंस धाँय दुःशासन अपना ।
भाषण अपना राशन अपना ।

नदी - नहर , धन - धरती अपनी ।
बंजर अपनी , परती अपनी ।
जो भी है सब अपना अपना ।
सफल हुआ जीवन का सपना ।

गिरे हुए जो लोग यहाँ हैं । इधर उधर या जहाँ तहाँ हैँ ।
मत खोजो वे कहाँ कहाँ हैं । जगह जगह हैँ
यहाँ वहाँ हैँ ।

हम इतना गिर गये साथियो !
लोग कह रहे उठे हुए हैं ?
हम तो इतना गिरे हुए हैं । गिरे हुओं से घिरे हुए हैं ।