सत्य अहिंसा परम धर्म है ।
भेदभाव मत सहना
मित्रों ।
शासन मे बैठे लोगों के
बड़े बड़े घोटाले देखे ।
नैतिकता पर ताले देखे ।
नेता . अफसर और
माफिया
हम बिस्तर
हम प्याले देखे ।
राष्ट्रवाद का स्वर
अलापते
भ्रष्ट आचरण वाले देखे ।
ऊपर से चिकने चुपड़े हैँ
अन्दर अन्दर काले देखे ।
यह भारत माँ के कलंक हैं
इनसे बचकर रहना मित्रो !
पढ़ लिखकर नौकरी पा गये ।
भ्रष्ट हुए योजना खा गये पद पाकर धनवान हो गये ।
सत्ता मिली महान हो गये ।
माता पिता सभी को भूले अहंकार मे रहते फूले धर्म कर्म ईमान बेचकर
हिला रहे जनता की चूलें
यह भारत माँ के कलंक हैं ।
इनसे बचकर रहना मित्रों !
सदनों मे हैं चोर उचक्के देखो ! घूसखोर हैं पक्के
जिन्हे देख सब हक्के बक्के
भले आदमी खाएँ धक्के ।
सांसद और विधायक निधि ने
जाम किए शासन के चक्के ।
घोर कमीशनबाजी देखो
अनाचार के चौए छक्के ।
यह भारत माँ के कलंक हैं
इनसे बचकर रहना मित्रों ।
( क्रमश: )
शनिवार, 8 जनवरी 2011
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