शनिवार, 8 जनवरी 2011

यह भारत माँ के कलंक हैं । इनसे बचकर रहना मित्रोँ !

सत्य अहिंसा परम धर्म है ।

भेदभाव मत सहना
मित्रों ।

शासन मे बैठे लोगों के

बड़े बड़े घोटाले देखे ।

नैतिकता पर ताले देखे ।

नेता . अफसर और

माफिया

हम बिस्तर

हम प्याले देखे ।

राष्ट्रवाद का स्वर

अलापते

भ्रष्ट आचरण वाले देखे ।

ऊपर से चिकने चुपड़े हैँ
अन्दर अन्दर काले देखे ।

यह भारत माँ के कलंक हैं
इनसे बचकर रहना मित्रो !

पढ़ लिखकर नौकरी पा गये ।
भ्रष्ट हुए योजना खा गये पद पाकर धनवान हो गये ।
सत्ता मिली महान हो गये ।
माता पिता सभी को भूले अहंकार मे रहते फूले धर्म कर्म ईमान बेचकर
हिला रहे जनता की चूलें

यह भारत माँ के कलंक हैं ।
इनसे बचकर रहना मित्रों !

सदनों मे हैं चोर उचक्के देखो ! घूसखोर हैं पक्के
जिन्हे देख सब हक्के बक्के
भले आदमी खाएँ धक्के ।
सांसद और विधायक निधि ने
जाम किए शासन के चक्के ।
घोर कमीशनबाजी देखो
अनाचार के चौए छक्के ।

यह भारत माँ के कलंक हैं
इनसे बचकर रहना मित्रों ।

( क्रमश: )