जंगलों को काटकर
बसाए जा रहे हैं गाँव
गाँवों का किया जा रहा है
नगरीकरण
नगरों का सौन्दर्यीकरण
और अब स्थिति
यहा तक आ गयी है
कि सौन्दर्य का
होता जा रहा है
जंगलीकरण ।
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समसामयिक विषयों पर साम्प्रतिक साहित्य व समाचार
31 टिप्पणियां:
जंगलों से जंगलीकरण तक सच में कैसी स्थिति है....सूक्ष्म अवलोकन
व्यंग रचना अत्यंत समीचीन और सराहनीय है
साधुवाद !
wah....wah.....maza aa gaya .
सौन्दर्य का
होता जा रहा है
जंगलीकरण ।
... बहुत सुन्दर, प्रसंशनीय !!!
बहुत अच्छा।
सौन्दर्य का
होता जा रहा है
जंगलीकरण ।
और अब स्थिति
यहा तक आ गयी है
कि सौन्दर्य का
होता जा रहा है
जंगलीकरण....
बहुत खूब .....!!
क्या मार मारी है शब्दों की .....वाह ....!!
वाह ! क्या बात है, सत्य वचन !
सौंदर्य का जंगलीकरण ...बहुत खूब व्यंग्य है देह से सुंदर होती लेकिन मुल्यों से विचलित होती नई पीढ़ी के लिए ।
कि सौन्दर्य का
होता जा रहा है
जंगलीकरण ।!!
बिलकुल सही कहा आपने ! महीन मार करती हुई सार्थक व्यंग्य रचना ! बधाई !
एक बेहतरीन रचना
काबिले तारीफ़
सुन्दर भावाव्यक्ति .साधुवाद
satguru-satykikhoj.blogspot.com
kam shabdon men apne bahut kuchh kah diya ---sundar rachana.
jangal ke teekhe kaanto se bhi jyada kanteele shabdo ki maar maari hai rachna ke maadhyam se. badhayi.
समस्त विदवानो एवं विदुषियों को उत्साहवर्धक टिप्पणियों के लिए विनम्र आभार । यह रचना 1984 की है .जब नगर मे सौन्दर्यीकरण के नाम पर अतिक्रमण हटाया जा रहा था ।
behad sundar prastuti .sachmuchaal shaharon ki sundarta badhane ke liyejangalo ko hi hathiyaar banaya ja raha hai.prabhavshali rachna.
poonam
Really nice it shows an image of present social aspect.
यह जंगलीकरण भी एक प्रकार की फसल ही है जो मौके बे मौके काटी जाती है ..फिर छोड़ दी जाती है फलने फूलने के लिए!
saundaryikaran ka janglikaran..........bahut khub!! kya vyangya kiya hai sir aapne!!
बहुत सुंदर
Afsos! Kaisi manhoos haqeeqat hai yah!
बहुत बढ़िया लगा! आपने शानदार रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
सुन्दर! काल का पहिया...
संक्षेप में बहुत सटीक रचना |बधाई
आशा
यहा तक आ गयी है
कि सौन्दर्य का
होता जा रहा है
जंगलीकरण...
bahut khubsurt tareeke se apne bhaavo ko darshaya haa........bahut sunder.....
कोई लूट ले जाएगा इस सुंदरता को ... जल्दी ही आ जायगा ये समय ...
ab saundarya raha kahan !
bahut khoob likha hai
Beautiful poetry! Effective satire!
बहुत सुंदर सराहनीय प्रस्तुति...जंगलीकरण इसे रोका जाना चाहिए
बहुत सच्ची औकर सटीक रचना ।
ye wakai chintajanak baat hai aur gambhir bhi .magar sochna ise sabke liye jaroori hai .jaan hai to jahan .ati uttam .aabhari hoon aapki ,shukriyan blog par aane ke liye .
अब स्थिति
यहा तक आ गयी है
कि सौन्दर्य का
होता जा रहा है
जंगलीकरण ।
बिलकुल सही कहा आपने , सार्थक रचना !
जंगल से चलकर जंगल तक पहुँचे
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