बुधवार, 21 जुलाई 2010

छींक

एक छींक हमारी है

जो हवा में

खप जाती है ।

एक छींक

सोनिया जी की है

जो अखबारों में

छप जाती है ।

52 टिप्‍पणियां:

shikha varshney ने कहा…

वाह....सब अपनी अपनी नाक का फर्क है जी ...

मनोज कुमार ने कहा…

छींक-छींक का फ़र्क़ लाजवाब ह!

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

इस मामले में तो हम ऐसे लोगों को हमारे मुकाबले बेचारों की श्रेणी में रखते हैं। इतनी सी आजादी भी नहीं होगी इन्हें कि खुलकर हंस भी सकें।
शीर्षक और भी धांसू लगा।

अर्चना तिवारी ने कहा…

वाह क्या बात है...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

छींक छींक में फर्क है

ज्योति सिंह ने कहा…

waah !naam walo ki aam baate bhi khas hoti hai ,tabhi to har koi khas banna chahta hai .aapki rachna me bhi aesi hi baat hai ,umda .

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

हा हा हा...सच में नाक का ही फर्क है....

Deepak Shukla ने कहा…

Bhai sab..

Pranam..

Chinkon main antar sada..
Aisa Bharat desh..
Akhbaron ki surkhiyan..
Gar ho vyakti vishesh..

Dudh duhen jab log sab..
Duniya hai anjaan..
Aur duhen Lalu agar..
Duniya jaati jaan..

Patrkaar hain ghumte..
Kalam camera hath..
Par ye sab chalte agar..
Koi neta sath..

Deepak

Tafribaz ने कहा…

shikha varshney ने कहा…

वाह....सब अपनी अपनी नाक का फर्क है जी ...

Tafribaz ने कहा…

shikha varshney ने कहा…

वाह....सब अपनी अपनी नाक का फर्क है जी ...

Tafribaz ने कहा…

shikha varshney ने कहा…

वाह....सब अपनी अपनी नाक का फर्क है जी ...

Tafribaz ने कहा…

shikha varshney ने कहा…

वाह....सब अपनी अपनी नाक का फर्क है जी ...

Tafribaz ने कहा…

shikha varshney ने कहा…

वाह....सब अपनी अपनी नाक का फर्क है जी ...

Tafribaz ने कहा…

shikha varshney ने कहा…

वाह....सब अपनी अपनी नाक का फर्क है जी ...

Tafribaz ने कहा…

shikha varshney ने कहा…

वाह....सब अपनी अपनी नाक का फर्क है जी ...

Tafribaz ने कहा…

shikha varshney ने कहा…

वाह....सब अपनी अपनी नाक का फर्क है जी ...

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

baat jagah jagah ki hai......!!

badi gahri baat.......

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

Gazab....................I don't have any other word for this nice....post.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

सोचने वाली बात हो गई....

______________
'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

छींक छींक में फर्क है..........शीर्षक भी धांसू लगा।

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

एक छींक हमारी है जो कविता बन जाती है .......

अब हम सोनिया जी जैसा विदेशी नाक कहाँ से लायें .....???

बहुत खूब ......!!

Smart Indian ने कहा…

छींक-छींक का फ़र्क़ तो रहेगा ही।

मनोज भारती ने कहा…

छींक से आम आदमी और खास आदमी का बहुत सुंदर दृष्टांत दिया है आपने ।

आम आदमी की बीमारी की भी कोई खबर नहीं
खास आदमी को छींक भी आती है तो खबर बनती है

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह वाह ... वाह वाह ... क्या बात है ... सोनिया जी जो हैं .... उनकी छींक भी किस्मत वाली है ....

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

sandhyagupta ने कहा…

हर छींक की किस्मत होती है..

Dr.R.Ramkumar ने कहा…

एक छींक
हवा में खप जाती है ।
एक छींक
अखबारों में छप जाती है ।
अरुणेष जी!
चिकौटी असर कर गई..यह चुभन हमेशा सनसनाती रहेगी..

Dr.R.Ramkumar ने कहा…

af karen louta to phir chheenk aa gayee to lout aayaa--अरुणेष जी!
प्रभाव जरा देखिए ...रंग देखिए...

एक छींक
मेंढक की जो नहीं होती
एक छींक ऐसी कि
मां रात भर नही सोती
एक छींक वह
जो घर से निकलने नहीं देती
एक छींक ऐसी जो
निकले हुए शब्दों को गलने नहीं देती
एक छींक
फेंफड़ों को स्वस्थ बनाती है
क्या करें
कहते हैं गधों को छींक नहीं आती है।

Urmi ने कहा…

वाह! क्या बात है! लाजवाब प्रस्तुती!

अंजना ने कहा…

हा हा हा... अपनी अपनी नाक का फर्क है |

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

हा.हा.हा.

वो छींक पूरे हिन्दुस्तान को हिला सकती है..क्या हमारी छींक में वो दम है ?

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

एक छींक
हवा में खप जाती है ।
एक छींक
अखबारों में छप जाती है ।
अरुणेष जी!
aadarniy sir chhik ke baare me bilkul sahi drishhti kon.sabki apni apni kimat hai.
poonam

सूबेदार ने कहा…

अरुणेश जी
भारत में गोरी चमड़ी की आज भी बहुत कीमत है.

सम्वेदना के स्वर ने कहा…

पंडित जी, पता नहीं कैसे ये मुझसे छूट गई... इतना अंधविश्वासी भी नहीं कि ममूली सी छींक के डर से आपके दर पर न जाऊँ...माफी के बाद … इतना ही कहूँगा कि हमारे पैर, पैर..उनके पैर चरण. इसीलिए हमारी छींक हवा की तरह बस निकल जाती है और उनकी छींक छौंक लगाकर छपती है... अच्छा व्यंग्य!

Akhilesh pal blog ने कहा…

bahoot khoob likha aap ne

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

बप्पी लहरी ने गाया है अरुणेश जी,
देश की माँ, सोनिया जी!
सारी जानता की माँ, सोनिया जी!
अब इतना तो वो डिज़र्व करती ही हैं!
हा हा हा......
बाउजी, वहुत कम में बहुत कुछ कहना..... कोई आपसे सीखे!

Urmi ने कहा…

मित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ!

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) ने कहा…

वाह!! वाह!! क्या बात है!!

kshama ने कहा…

Ha,ha,ha!

Saumya ने कहा…

wah!

Mithilesh dubey ने कहा…

bhai wah kya bat hai, bahut khub kaha aapne

nilesh mathur ने कहा…

कमाल की छींक है भैया, बहुत सुन्दर!
www.mathurnilesh.blogspot.com

ज्योति सिंह ने कहा…

aapki nai post kholne ki bahut koshish ki magar khul nahi rahi .

रचना दीक्षित ने कहा…

मुझे तो पढ़ कर ही छींक आ गयी

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

क्या बात है. राजा और फकीर का अंतर बता दिया.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

अरुणेश मिश्र जी
नमस्कार !
कमाल है आपकी कविता !
एक छींक हमारी …
एक छींक सोनिया जी की …

संक्षेप में सटीक तीर चलाना तो कोई आपसे सीखे ।
वाह वाह !

- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं

Shabad shabad ने कहा…

छींक- छींक में यह कैसी असमानता
क्या यही मेरे भारत की महानता.....????

Prem Farukhabadi ने कहा…

बहुत खूब ...

Aruna Kapoor ने कहा…

हमारी छींक हम तक ही सीमित रह जाती है....और सोनियाजी कीछींक उत्पात मचाती है!!....सही कह रहे है आप!

arpit ने कहा…

bahut khub sir , aasha he aapki kavitao ko padh kar kaafi kuch sikhne ko milega.

http://bejubankalam.blogspot.com/

ASHOK BAJAJ ने कहा…

रक्षाबंधन के पावन पर्व पर आपको हार्दिक बधाई !!

VIJAY KUMAR VERMA ने कहा…

ek aam aur khash admee ki jindagee me yahi fark hota hai