अखरे जो बार बार
उसे अखबार
कहते हैं ।
सरके जो बार बार
उसे सरकार
कहते हैं ।
समाचारों को बेचकर
खरीद ले जो कार
उसे पत्रकार
कहते हैं ।
शनिवार, 29 मई 2010
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37 टिप्पणियां:
वाह!
Pratham to Patrkarita Divas ki badhai sweekaren..
Sahaj vyang aur behtareen prastuti..
DEEPAK..
...बहुत खूब !!!
लाजवाब परिभाषाएं!
सर ..आपका इस तरह की रचनाएँ लिखने में कोई तोड़ नहीं ...कम शब्दों में ...अच्छा सन्देश ! इसे ही गागर में सागर कहते है ..आपके लिए हमारे यहाँ भी कुछ है ,सुझाव दे
सटीक और लाजवाब....
बहुत खूब जी,
देखन में छोटे लगे, भाव भरे गंभीर।
लाजवाब प्रस्तुति जो कम शब्दों में ...अच्छा सन्देश दे रही है ! इसे ही गागर में सागर कहते है .
कम शब्दों में गहरी बात ... पत्रकारों की तो चाँदी है ...
steek pribhashaye .
वाह! क्या खूब कही है! लाज़वाब!
bauhat teekha vyanga hai...
बैंक वाले कष्ट से मरने वाले को कस्टमर कहते हैं... और बचपन में सुनते थे विद्या की अर्थी उठाने वाला विद्यार्थी होता है... आपने हमारे शब्द्कोश में वृद्धि कर दी... मज़ा आ गया!!
अतिसुँदर ...अतिव्य़ँगात्मक ...अतिसमीचीन रचना ..
समाचारों को बेचकर
खरीद ले जो कार
उसे पत्रकार
कहते हैं ।
...सही बात है ...आज के सत्य में यह भी जुड़ गया है.
अब हमे इन परिभाशाओ को आत्मसात कर लेना चाहिए. बधिया कताक्श.
Bhai Arunesh...
dard ki jo baat ho sweekar kahte hai.
annyay pr prtighat ko upsanhar kahtey hai.
vedna ke sabd jo arunesh mn se hai nikaltey
sahity bhasa meyn ussey "jan pyar 'kahtey hain.
समाचारों को बेचकर
खरीद ले जो कार
उसे पत्रकार
कहते हैं । ......वाह!
एक त्रिशूल छोड़ा है
आपने इन तीन पंक्तियोँ
के माध्यम से, जिसने
लक्ष्य को गहराई तक
भेदा है।
समाचारों को बेचकर
खरीद ले जो कार
उसे पत्रकार
कहते हैं ।
अच्छी परिभाषा
वाह क्या कहने !
गहरी बात ...गागर में सागर... लाज़वाब!
क्या बात कही है....
समाचारों को बेचकर
खरीद ले जो कार
उसे पत्रकार
कहते हैं ।
बढ़िया लगा। धारदार सोच और तनी हुई अभिव्यक्ति।
वाह!वाह..
क्या खूब .. लाज़वाब
simply great.......itni adbhut baat kahi kaise???:)
hamare blog pe aayen!
सत्य को परिभाषित करती सुन्दर रचना!
बहुत ख़ूब...
वाह सटीक व्यंग .
वाह बहुत बढ़िया! लाजवाब!
बहुत सही कहा अपने इसे भी देखें और बताएं जुड़ने लायक है कि नहीं।
अपने और गैरों के भावों को
खूबियों से पद्य में पिरोदे
उसे पद्यकार कहते हैं।
क्या बात है । अपनी बात से सरके जो बार बार
उसे सरकार कहते हैं । बूंद से सागर बरना तो कोई आपसे सीखे ।
आईये जानें ..... मन ही मंदिर है !
आचार्य जी
laazwaab ,bahut hi jordaar rahi ,bahar rahi ek mahine se is karan aane me der ho gayi ,badhai .
आईये जानें .... मैं कौन हूं!
आचार्य जी
क्या बात, शब्द कम परन्तु गंभीर।
bahut sunder rachna arunesh ji gambhir shabd ...........
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