छंद में भगवान कृष्ण के प्रति अगाध प्रेम की अभिव्यक्ति है । अप्रैल 1998 ।
घनश्याम के अंक
लगी लगी मैं
कर पल्लव बेनु
बनी हुई हूँ ।
चिर साधिका हूँ
मनमोहन की
रति रंग की धेनु
बनी हुई हूँ ।
सखि ! नेह की डोर से
हूँ बँधी मैं
मनमोहन रूप
सनी हुई हूँ ।
स्वर , रश्मियों में
उन्मत्त हूँ मैं
पद पंकज रेनु
बनी हुई हूँ ।
गुरुवार, 2 सितंबर 2010
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35 टिप्पणियां:
Excellent as usual..read earlier ones too.
prem prakrti ka roop hai aadha,
jb tk krisn rang rage na radha.
waaah arunesh ji lage raho.....
समर्पण की की उदात्त अभिव्यक्ति
पद पंकज रेनु
बनी हुई हूँ ।
सुन्दर अभिव्यक्ति .
comments का रंग भी अगर सफ़ेद हो जाये, तो पड़ने में अधिक सुविधा होगी.
बहुत सुन्दर !
khubshurat.........:)
चिर साधिका हूँ
मनमोहन की
रति रंग की धेनु
बनी हुई हूँ ।
...bahut sundar kavita.
बहुत उच्च स्तर की रचना!
स्वर , रश्मियों में
उन्मत्त हूँ मैं
पद पंकज रेनु
बनी हुई हूँ ।
Lovely lines !
सर ...इस कविता को पढ़वाने के लिए आपका आभार
इसे पढ़कर मन कृष्णमय हो गया.
आप व् आपके परिवार वालों को श्री कृष्ण जन्मास्टमी की शुभकामनाएँ......
प्रेम की पराकाष्ठा और एकाकार होने का भाव,हृदय को पुलकित करने वाली रचना!!
कृष्ण रंग में रंगी -
बहुत सुंदर कविता-
शुभकामनायें .
सुंदर अभिव्यक्ति...सुंदर रचना!
..बहुत सुंदर।
..जै श्री कृष्ण।
बहुत सुन्दर!!
आदरणीय अरुणेश मिश्र जी
स्वर , रश्मियों में
उन्मत्त हूं मैं
पद पंकज रेनु
बनी हुई हूं ।
बहुत भाव पूर्ण सुंदर काव्य रचना है ।
बहुत बहुत बधाई !
शुभकामनाएं !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
प्रेम की पवनता को दर्शाती आपकी प्रस्तुति का जवाब नहीं!
सुन्दर भाव समर्पण के।
बहुत पवित्र रचना ...
bahut sundar rachna .
रचना बहुत अच्छी लगी।
हिन्दी, भाषा के रूप में एक सामाजिक संस्था है, संस्कृति के रूप में सामाजिक प्रतीक और साहित्य के रूप में एक जातीय परंपरा है।
स्वच्छंदतावाद और काव्य प्रयोजन , राजभाषा हिन्दी पर, पधारें
सुंदर भाव, शानदार अभिव्यक्ति।
………….
जिनके आने से बढ़ गई रौनक..
...एक बार फिरसे आभार व्यक्त करता हूँ।
राधे-कृष्ण!
स्वर , रश्मियों में
उन्मत्त हूँ मैं
पद पंकज रेनु
बनी हुई हूँ ----------------------------------सुन्दर भावों की खूबसूरत अभिव्यक्ति।
sundar sashakt lekhan
सुन्दर इस छंद नें भक्त मन छुआ है ,
जन्माष्टमी के प्रसाद का मीठा पुआ है!
बहुत सुन्दर और शानदार प्रस्तुती!
शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
बहुत ही सुंदर छंद है समर्पण का भाव देखते ही बनता है .
समर्पण की पराकाष्ठा ... बहुत सुंदर रचना...
सखि ! नेह की डोर से
हूँ बँधी मैं
मनमोहन रूप
सनी हुई हूँ ।
स्वर , रश्मियों में
उन्मत्त हूँ मैं
पद पंकज रेनु
बनी हुई हूँ ।
पावन-पवित्र प्रेम का सुंदर चित्रण...
bahut sundar1
behad sundar chhand .
पद पंकज रेनु बनी हुई हूँ ।
राधा की समर्पण भावना शब्द शब्द में झलक रही है । अति सुंदर ।
धन्य हैं आप,
भक्ति रस का सरस काव्य,
कृष्ण-वृक्ष की छाँव ,सघन ,
शीतल ,त्रि-ताप-हर ,...........
सुन्दर भाव.............
क्या कहने........!!!!!!!
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